इस वजह से फांसी पर लटकाते ही होती है मौत

इस वजह से फांसी पर लटकाते ही होती है मौत

सेहतराग टीम

अक्सर किसी के द्वारा अपराध करने के बाद और अपराध सिद्ध होने के बाद अपराध की प्रकृति के अनुसार दोषी को फांसी की सजा सुनाई जाती है। इसके बाद दोषी को फांसी पर लटकाया जाता है और फांसी पर लटकते ही तुरंत उसकी मौत हो जाती है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि आखिर फांसी पर लटकते ही व्यक्ति की मौत तुरंत क्यों हो जाती है। ऐसा क्या कारण है कि जिसकी वजह से यह होता है। आइए जानते हैं इसी सवाल का जवाब...

फांसी की सजा के दौरान फंदे पर दोषी के लटकने के चंद सेकेंड बाद दोषी तोड़ देता है। हरिनगर के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. बी. एन. मिश्रा बताते हैं कि फांसी के दौरान गर्दन की हड्डियों में अचानक झटका लगता है। झटके से गर्दन की सात में से एक हड्डी, जिसे सेकेंड वर्टिबा कहा जाता है, उसमें से ऑडोंट्वाइस प्रोसेस नामक हड्डी निकलकर स्पाइनल कार्ड में धंस जाती है। इसके धंसते ही शरीर न्यूरोलॉजिकल शॉक का शिकार हो जाता है और तुरंत शरीर की नियंत्रण क्षमता समाप्त हो जाती है। यह पूरी प्रक्रिया चंद सेकेंड में ही हो जाती है।

डॉ. मिश्र बताते हैं कि फांसी की सजा से हुई मौत को फोरेंसिक भाषा में ज्यूडिशियल हैगिंग कहा जाता है, वहीं खुदकशी के मामले में फांसी लगाने से जो मौत होती है उसमें अधिकांश मामलों में गर्दन व सांस की नली दबने या दोनों के एक साथ दबने से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है और दो से तीन मिनट में मौत हो जाती है। यदि हत्या के इरादे से किसी को फंदे से लटकाया जाता है तो होमिसाइडल हैगिंग कहा जाता है। वहीं कुछ मामलों में दुर्घटनावश भी रस्सी या तार में गर्दन के उलझने से मौत हो जाती है। सभी मामलों के अपने-अपने लक्षण हैं।

कारण-

  • शरीर की नियंत्रण क्षमता तत्काल हो जाती है समाप्त
  • लटकने के चंद सेकेंड बाद ही निकल जाते हैं प्राण

फांसी के लटकने के 2 घंटे बाद भी जिंदा रहा था रंगा-

तिहाड़ जेल में कई वर्ष तक कार्यरत रहे सुनील गुप्ता ने ब्लैक वारंट नामक अपनी किताब में लिखा है कि तिहाड़ में वर्ष 1982 में रंगा और बिल्ला को फांसी के तख्ते पर लटकाया गया था। फंदे पर लटकाने के दो घंटे बाद जब चिकित्सक फांसी घर में यह जांच करने गए कि दोनों की मौत हुई या नहीं तो पाया गया कि रंगा की नाड़ी (पल्स) चल रही थी। बाद रंगा के फंदे को नीचे से खींचा गया और उसकी मौत हुई।

 

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